1. परिचय:
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग की पुनरीक्षण आवेदन एकक, केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 की धारा 35 ङङ और सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 129 घघ के तहत निर्दिष्ट सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क मामलों में केंद्र सरकार के समक्ष दायर पुनरीक्षण आवेदनों का निपटारा करती है। सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर (अपील) आयुक्तों के आदेशों के विरुद्ध पक्षकारों या विभाग द्वारा दायर पुनरीक्षण आवेदनों पर कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद अपर सचिव (आरए) द्वारा विचार किया जाता है और निर्णय लिया जाता है।
2. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
2.1 दिनांक 10.10.1982 तक लागू योजना के तहत, सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्तों (तब कलेक्टर कहलाते थे) के आदेशों के विरुद्ध अपील केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड (अब सीबीआईसी) के पास थी। जहां तक कलेक्टर (अब आयुक्त कहलाने वाले) से नीचे के रैंक के अधिकारियों द्वारा पारित आदेशों के विरुद्ध अपील का प्रश्न है, उन्हें सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क के अपीलीय कलेक्टरों के समक्ष दायर किया जाना आवश्यक था।
2.2 वित्त अधिनियम, 1984 द्वारा निर्दिष्ट प्रकार के मामलों में केंद्र सरकार की पुनरीक्षण शक्तियों को पुनर्जीवित किया गया। सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 129(क) के साथ पठित धारा 129घघ के प्रावधानों के अनुसार केंद्र सरकार को सीमा शुल्क आयुक्त (अपील) द्वारा पारित अपीलीय आदेशों को संशोधित करने का अधिकार दिया। केंद्रीय उत्पाद शुल्क पक्ष में, केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 की धारा 35ख की उप-धारा (ii) के पहले परन्तुक के साथ पठित धारा 35ङङ ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्त (अपील) द्वारा पारित आदेशों को संशोधित करने के लिए केंद्र सरकार को समीक्षा और पुनरीक्षण शक्तियां दीं।
2.3 अधिकांश मामलों में आयुक्त (अपील) द्वारा पारित आदेश के विरुद्ध अपील अधिकरण अर्थात् सीईएसटीएटी के समक्ष होती है, लेकिन निम्नलिखित श्रेणियों के मामलों में आयुक्त (अपील) द्वारा पारित आदेशों के विरुद्ध अपील पुनरीक्षण प्राधिकरण (आरए) के पास होती है और यह पुनरीक्षण आवेदन अपर सचिव (पुनरीक्षण आवेदन) (जिसे इसके बाद एएस (आरए) भी कहा जाता है) के समक्ष दायर किया जाता है:-