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एपीजी सदस्यता

धन शोधन पर, एशिया / प्रशांत समूह (एपीजी) को चौथी एशिया / प्रशान्त धन शोधन विचार गोष्ठी में बैंकॉक, थाईलैंड में, फरवरी, 1997 को एक स्वायत्त क्षेत्रीय गैर धन शोधन निकाय के रूप में की गई थी। एपीजी का उद्देश्य, वित्तीय कार्य दल (एफएटीएफ) के सुझावों के आधार पर निर्धारित, गैर आतंकवादी वित्तियन तथा गैर धन शोधन मानकों, जो अंतरराष्ट्रीय रुप से स्वीकृत है, के प्रवर्तन, कार्यान्वयन तथा स्वीकरण को सुगम बनाना है।

एपीजी कार्यों में, अपराध की प्रक्रिया, आपसी कानूनी सहायता, जब्ती, कुर्की और प्रत्यर्पण के साथ कार्य करने के लिए कानून बनाने के क्षेत्राधिकार में सहायता करना है। इसमें वित्तीय आसूचना इकाइयों की स्थापना में सहायता करना तथा संदिग्ध संव्यवहार की जांच तथा रिपोर्टिंगके लिए पद्धति की स्थापना के लिए मार्गदर्शन के प्रावधान भी सम्मिलित है। एपीजी धन शोधन तथा एशिया / प्रशांत क्षेत्र में आतंकवाद के वित्तीयन के उपायों को ध्यान में रखते हुए, स्वीकृति प्रदान करती है तथा आपसी मूल्यांकन के द्वारा सहकर्मी समीक्षा के लिए प्रदान करती है।

एपीजी इसके सदस्यों द्वारा समझौतों से स्थापित किया गया एक स्वायत्त, स्वैच्छिक तथा सहयोगी अंतरराष्ट्रीय निकाय है। इसका जन्म किसी अंतरराष्ट्रीय संधि से नहीं हुआ है और न ही यह किसी भी अंतरराष्ट्रीय संगठन का कोई हिस्सा ही है। तथापि, यह स्वयं को की गई कार्रवाई तथा सुसंगत अंतरराष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय संगठनों द्वारा किए गए औपचारिक समझौतों के बारे में अवगत रखती है ताकि आतंकवादी वित्तीयन तथा धन शोधन के लिए, अनुकूल वैश्विक प्रतिक्रिया को बढ़ावा दे सके। एपीजी द्वारा किये जाने वाले कार्यों तथा इसकी प्रक्रियाओं का निर्णय, इसके सदस्यों की सर्वसम्मति के द्वारा किया जाता है।

भारत मार्च, 1998 में एपीजी का सदस्य बन गया।