प्रवर्तन निदेशालय, मुख्यालय, नई दिल्ली में वर्ष 1956 में स्थापित किया गया था। यह विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) और धन आशोधन अधिनियम के तहत कुछ प्रावधानों को लागू करने के लिए उत्तरदायी है। पीएमएल के तहत मामलों की जांच और मुकदमे से संबंधित कार्य प्रवर्तन निदेशालय को सौंपे गए हैं। यह निदेशालय, परिचालन उद्देश्यों के लिए राजस्व विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन है; फेमा के नीतिगत पहलू, इसके विधायन तथा संशोधन के आर्थिक कार्य विभाग के दायरे में हैं। हालांकि, पीएमएल अधिनियम से संबंधित नीतिगत मुद्दे, राजस्व विभाग की जिम्मेदारी है। फेमा के प्रभावी (1 जून 2000) लागू होने से पूर्व, निदेशालय ने विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 के तहत नियमों को लागू कर दिया है।
श्री सुधीर नाथ, अपर सचिव पद के एक अधिकारी इसके निदेशक हैं। इसके मुख्यालय में दो विशेष निदेशक और मुंबई में एक विशेष निदेशक हैं।
निदेशालय में 10 जोनल अधिकारी हैं जिनमें से प्रत्येक का अध्यक्ष एक उप निदेशक तथा 11 उप जोनल अधिकारी हैं जिनमें से प्रत्येक का अध्यक्ष एक सहायक निदेशक है।
जोनल कार्यालय- मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, चंडीगढ़, लखनऊ, कोच्चि, अहमदाबाद, बंगलौर तथा हैदराबाद।
उप जोनल कार्यालय- जयपुर, जालंधर, श्रीनगर, वाराणसी, गुवाहाटी, कालीकट, इंदौर, नागपुर, पटना, भुवनेश्वर तथा मदुरै।
कार्य
- फेमा, 1999 के उल्लंघन से संबंधित सूचना को इकट्ठा करना, विकसित करना तथा प्रचारित करना। आसूचना निवेश विभिन्न स्रोतों जैसे कि केंद्रीय और राज्य आसूचना अभिकरणों, शिकायतों आदि से प्राप्त हुए हैं।
- "हवाला" फॉरेन एक्सचेंज रैकेटियरिंग, निर्यात प्रक्रियाओं का पूरा न होना, विदेशी विनिमय का गैर प्रत्यावर्तन तथा फेमा, 1999 के तहत उल्लंघन के अन्य रूपों जैसे फेमा के संदिग्ध उल्लंघन के प्रावधानों की जांच करना।
- पूर्ववर्ती फेरा, 1973 और फेमा, 1999 के उल्लंघन के मामलों पर निर्णयन।
- न्यायनिर्णयन कार्रवाई के निष्कर्ष पर लगाए गए दंडों को वसूल करना।
- पूर्ववर्ती फेरा, 1973 के तहत न्याय अभियोजन, अपील न्यायनिर्णयन के मामलों का प्रबंध करना।
- विदेशी मुद्रा और तस्करी निवारण अधिनियम के संरक्षण (सीओएफईपीओएसए) के तहत निवारण के लिए मामलों की सिफारिश तथा उसके लिए प्रक्रिया करना।
- पीएमएलए अपराध के अपराधी के विरूद्ध सर्वेक्षण, जांच, जब्ती, गिरफ्तारी, अभियोजन कार्य इत्यादि का आयोजन करना।
- पीएमएलए के तहत अपराधी के हस्तांतरण के साथ-साथ अपराध की प्रक्रियाओं की जब्ती/ कुर्की के संबंध में संविदाकारी राज्य को/ से पारस्परिक कानूनी सहायता की मांग करना तथा प्रदान करना।