वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) एक स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय है जिसमें 39 सदस्य (37 अधिकार क्षेत्र और 2 संगठन) हैं, जो विश्व भर के देशों में धन शोधन, आतंकी वित्तपोषण, सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिए कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अपने सदस्य अधिकार क्षेत्रों द्वारा स्थापित किए गए हैं।
एफएटीएफ और भारत:
भारत 2010 में एफएटीएफ का सदस्य बना। भारत दो एफएटीएफ शैली क्षेत्रीय निकायों (एफएसआरबी) - एशिया प्रशांत समूह (एपीजी) और धन शोधन और आतंकी वित्तपोषण का मुकाबला करने के यूरेशियन समूह (ईएजी) का भी सदस्य है। एफएटीएफ का मुख्य कार्य अपने सदस्यों का पारस्परिक मूल्यांकन करना और एफएसआरबी को उनके संबंधित सदस्य अधिकार क्षेत्रों का पारस्परिक मूल्यांकन करने के लिए मार्गदर्शन और सहायता करना है।
भारत का अंतिम पारस्परिक मूल्यांकन वर्ष 2010 में किया गया था और अगला पारस्परिक मूल्यांकन एफएटीएफ के संशोधित मानकों (40 अनुशंसाएँ और 11 तत्काल परिणाम) के आधार पर मई 2023 में शुरू होने वाला है। पारस्परिक मूल्यांकन एक बहुत ही व्यापक और गहन अभ्यास है और यह देश के वित्तीय क्षेत्र के धन शोधनरोधी और आतंकी वित्तपोषण से निपटने (एएमएल/सीएफटी) संबंधी ढांचे का मूल्यांकन करता है।
एफएटीएफ प्रकोष्ठ के कार्य:
मंत्रिमंडल सचिवालय द्वारा लिए गए निर्णय के परिणामस्वरूप, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) और संबंधित अंतर-मंत्रालयी समन्वय से संबंधित कार्य को आर्थिक कार्य विभाग (डीईए) से राजस्व विभाग (डीओआर) को अंतरित कर दिया गया है (भारत सरकार के राजपत्र अधिसूचना दिनांक 9 नवंबर, 2017 के अनुसार)।
एफएटीएफ प्रकोष्ठ का गठन वर्ष 2017 में राजस्व विभाग में किया गया था और वर्तमान में इसमें एक निदेशक, चार विशेष कार्य अधिकारी, एक अनुभाग अधिकारी और तीन सहायक अनुभाग अधिकारी हैं जो संयुक्त सचिव के समग्र पर्यवेक्षण के अधीन कार्य कर रहे हैं और संयुक्त सचिव अपर सचिव (राजस्व) को रिपोर्ट करते हैं। अपर सचिव (राजस्व) एफएटीएफ और एफएसआरबी के प्लेनरीज के भारतीय प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख हैं।
एफएटीएफ प्रकोष्ठ एफएटीएफ, एपीजी और ईएजी के साथ प्रभावी संपर्क के लिए राष्ट्रीय केंद्र बिंदु के रूप में कार्य करता है। एफएटीएफ प्रकोष्ठ एफएटीएफ/एपीजी/ईएजी सचिवालयों से संबंधित कार्यों के समन्वय की देखभाल करता है। एफएटीएफ प्रकोष्ठ नियमित रूप से भारत की एमएल/सीएफटी बुनियादी ढांचे की एजेंसियों जैसे ईडी, एफआईयू-आईएनडी, आरबीआई, सेबी, आईआरडीएआई, एमएचए, एनआईए, एमईए आदि के साथ नियमित समन्वय करता है। एफएटीएफ प्रकोष्ठ राष्ट्रीय एएमएल/सीएफटीजोखिमों का आकलन करने के लिए नोडल केंद्र भी है। यह भारत की एएमएच/सीएफटीनीतियों के निर्माण के लिए भी जिम्मेदार है।
यह प्रकोष्ठ एफएटीएफ, एपीजी, ईएजी से संबंधित विभिन्न पत्रों/प्रस्तावों को प्राप्त करता है, प्रसारित करता है तथा देश के सभी संबंधित हितधारकों के साथ उन पर चर्चा करता है और राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए इन मुद्दों पर भारत की टिप्पणियां भेजी जाती हैं।
एफएटीएफ प्रकोष्ठ के अधिकारी एएमएल/सीएफटी के क्षेत्र में एफएटीएफ और अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों की बैठकों में भी भाग लेते हैं और प्रतिनिधिमंडल विभिन्न मुद्दों पर बहुपक्षीय चर्चाओं में भाग लेता है। एफएटीएफ सेल एएमएल/सीएफटी ढांचे में शामिल सभी एजेंसियों के लिए एएमएल/सीएफटी मामलों पर क्षमता निर्माण की योजना बनाता है।
धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 72क के अंतर्गत राजस्व सचिव की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समन्वय समिति (आईएमसीसी) का गठन किया गया था, जिसका कार्य एएमएल/सीएफटी मामलों पर व्यापक स्तर पर नीतिगत निर्णय लेना, सरकार, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, वित्तीय आसूचना एकक-भारत और विनियामकों/पर्यवेक्षकों के बीच प्रचालन सहयोग और राष्ट्रीय जोखिम मूल्यांकन (एनआरए) का पर्यवेक्षण करना था। एफएटीएफ प्रकोष्ठ आईएमसीसी के लिए सचिवालय के रूप में कार्य करता है।
सभी हितधारकों के बीच परिचालन समन्वय बढ़ाने के लिए अपर सचिव (राजस्व) की अध्यक्षता में एक एएमएल/सीएफटी संयुक्त कार्य समूह बनाया गया।
वर्तमान में, एफएटीएफ प्रकोष्ठ राष्ट्रीय जोखिम मूल्यांकन 2025 से संबंधित कार्यों का समन्वय कर रहा है, जहाँ बैंकिंग, बीमा, पूंजी बाजार, नामित गैर-वित्तीय व्यवसाय और व्यवसायों और अन्य क्षेत्रों जैसे अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के जोखिम का समय-समय पर मूल्यांकन किया जाता है। एफएटीएफ प्रकोष्ठ, राजस्व विभागभारत के एमएल/टीएफ एनआरएके संचालन के लिए समन्वयक के रूप में कार्य करता है।