धन आशोधन अधिनियम, 2002 तथा इसमें निहित नियमों के अनुसार, प्रत्येक बैंकिंग कंपनी को नकदी में या बिना नकदी के संदिग्ध संव्यवहार प्रस्तुत करने की व्यवस्था की गई है। संदिग्ध संव्यवहार का अर्थ ऐसे संव्यवहार से है जो चाहे नकदी में या बिना नगती के नेकनीयती में स्थानापन्न व्यक्ति को किया जाता है -
- यह संदेह के लिए व्यापक क्षेत्र प्रदान करता है कि इसमें अपराध या लाभ सम्मिलित हो सकता है; या
- इसकी परिस्थितियां असाधारण या अनुचित जटिलता वाली प्रतीत होती हैं; या
- कोई आर्थिक औचित्य या वास्तविक उद्देश्य का होना प्रतीत होता है।