एनडीपीएस अधिनियम के तहत मादक दवाओं को रखना स्वयं में उतना ही एक अपराध है, जितना कि उनकी बिक्री, खरीद, उत्पादन आदि। सजा इस बात पर निर्भर नहीं करती है कि रखरखाव या खरीद व्यक्तिगत उपयोग के लिए है या पुनर्विक्रय के लिए, बल्कि यह दवा की मात्रा पर निर्भर करती है।
एनडीपीएस अधिनियम की धारा 27 के अंतर्गत मादक दवाओं का सेवन एक अपराध है और इसके लिए एक वर्ष (कुछ दवाओं के मामले में) या छह महीने (अन्य सभी दवाओं के मामले में) तक के कारावास का प्रावधान है।
हालाँकि, उपचार के लिए स्वेच्छा से आगे आने वाले नशे के आदी लोगों को अधिनियम की धारा 64क के तहत छूट मिलती है।
64क. उपचार के लिए स्वेच्छा से आगे आने वाले व्यसनियों को अभियोजन से छूट। कोई भी व्यसनी, जिस पर धारा 27 के तहत दंडनीय अपराध या मादक दवाओं या मन:प्रभावी पदार्थों की कम मात्रा से संबंधित अपराधों का आरोप लगाया गया है, जो स्वेच्छा से सरकार या स्थानीय प्राधिकारी द्वारा संचालित या मान्यता प्राप्त अस्पताल या संस्थान से नशामुक्ति के लिए चिकित्सा उपचार करवाना चाहता है और ऐसा उपचार करवाता है, वह मादक दवाओं या मन:प्रभावी पदार्थों की छोटी मात्रा से संबंधित अपराधों के लिए धारा 27 या किसी अन्य धारा के तहत अभियोजन के लिए उत्तरदायी नहीं होगा:
बशर्ते कि यदि नशेडी नशा मुक्ति के लिए पूर्ण उपचार नहीं कराता है तो अभियोजन से उक्त उन्मुक्ति वापस ली जा सकेगी।
यह धारा नशेड़ी को न केवल सेवन (धारा 27) के लिए बल्कि कम मात्रा में स्वापक औषधियोंसे जुड़े अपराधों के लिए भी प्रतिरक्षा प्रदान करती है। इस प्रकार, एक नशेड़ी के पास कम मात्रा में नशीली दवाएं पाई जाती हैं, तो वह धारा 64क के तहत प्रतिरक्षा की मांग कर सकता है। हालांकि, अगर नशेड़ी को किसी पार्टी के लिए नशीली दवाएं ले जाते हुए पाया जाता है और स्वापक औषधियोंकी कुल मात्रा कम मात्रा से अधिक है, तो उसे धारा 64क के तहत प्रतिरक्षा नहीं मिल सकती है।